मन में कई वासनाओं का डेरा है
उसको नहीं पुकार रहा, जो मेरा है
यहाँ-वहां
इस उस डाली पर
भटके है मन
फूलों की
तलाश, शूल से
लिपटे है मन
उसका द्वार खुला है
पर पांवो में बंधन
पिंजरे से है प्यार
तो कैसे पाए मोहन
अशोक व्यास
९ अप्रैल १९९७ को लिखी
२२ फरवरी २०११ को लोकार्पित
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