फिर अपनी पहचान करा दो गिरिधारी
फिर से अपना ध्यान करा दो गिरिधारी
संग तुम्हारा संग नहीं रहता है क्यों
ये मुश्किल आसान करा दो गिरिधारी
ओ मनमोहन, सबका मन हरने वाले
मोहक बंशी तान सुना दो गिरिधारी
छोड़ तुम्हें अब और कहीं न जाए मन
इतना सा बस ज्ञान करा दो गिरिधारी
तुम रसिया हो, जाने है ये जग सारा
अमृत रस का पान करा दो गिरिधारी
जिसको ध्याये ध्यान तुम्हारा बना रहे
ऐसी गति का ध्यान धरा दो गिरिधारी
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२५ जुलाई १९९८ और १८ फरवरी २०११
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