Friday, February 11, 2011

जीवन धन है श्याम रंगा मन

 
जड़ता से जकड़ा हुआ, जोड़ ना पाऊँ हाथ
नयन दीप में प्रार्थना, मुक्ति दो यदुनाथ

जीवन धन है श्याम रंगा मन
रंग गया तो हो गया निर्धन

रंग तिहारा राखना, ओ कान्हा सरकार
क्षमा करो मम मूढ़ता, बरसो तव प्यार

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१४ और १५ जुलाई १९९८ को लिखी
 ११ फरवरी २०११ को लोकार्पित 

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