Sunday, February 6, 2011

धड़कन कान्हा, कान्हा धड़कन





 कृपा से भर गया आँगन
तन-मन आनंद  मगन

अमृत का स्वाद चखाने 
अधर धरे है मुरली मोहन
 
प्यास देह से पहले वाली
बुझा रहा ये अनुग्रह सावन

परम मौन का दरसन पाया
धड़कन कान्हा, कान्हा धड़कन


अशोक व्यास
३० जून १९९८ को लिखी
६ फरवरी २०११ को परिमार्जन के साथ लोकार्पण




 

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