Thursday, February 24, 2011

कण कण गूंजी तेरी लय है

 
यह मौन मधुर
तेरी करूणा का
छम छम बहता परिचय है
 
आनंद किरण
उतरी आँगन
कण कण गूंजी तेरी लय है
 
ओ श्याम सखा
तुम प्रेम गगन
तुम प्रेम धरा
तुमसे साँसे अमृतमय हैं
 जय श्री कृष्ण
 
१६ अप्रैल १९९७ को लिखी
२४ फरवरी २०११ को लोकार्पित 

1 comment:

Neha Mathews said...

सुंदर भक्ति रचना..
जय श्री कृष्ण