Saturday, February 5, 2011

ओ आत्म-सखा!

सत्य 
यह क्षण
उड़ती चिड़िया की बोली

मौन

आनंद का झरना
पत्तों में हवा का संगीत

शांत मन
मुझे
पूर्णता का परिचय देते तुम
ओ आत्म-सखा!
क्यूं साथ नहीं रह सकते
इसी तरह
निरंतर?
अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
२८ जून १९९८ को लिखी
५ फरवरी २०११ को लोकार्पित

No comments: