Tuesday, February 1, 2011

श्याम सदा है पास


देख सुनहरी धूप को
देख वृहत आकाश
देख मगन मन की छवि
श्याम सदा है पास

बिन बाती दीपक नहीं
श्याम बिना नहीं जीव
महल बना है सांस का
श्याम नाम है नींव
 
उसका कर परनाम मन
धर उसका ही ध्यान
सांस संग बजती सदा
जिस अद्भुत की तान

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१० जून १९९८ की लिखी
१ फरवरी २०११ को लोकार्पित



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