Thursday, February 4, 2010

चल आनंद की बरसात करें


चल आनंद की बरसात करें
मिल जुल कान्हा की बात करें
है बाज़ी उसकी, जान- मान
बस यूँ ही शाह और मात करें

गिरिधारी मन के साथ करें
शाश्वत रक्षक दर माथ धरें
बहे पवन, संग ले प्रेम कोष
पावन मंगल, दिन-रात करें

चल आनंद की बरसात करें
सब तजें, त्रिलोकी नाथ वारेन
थिरकें उसकी ले पर प्रति पल
रससार युक्त हर बात करें

चल आनंद की बरसात करें

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१६ मार्च २००९ को लिखी
४ फरवरी २०१० को लोकार्पित

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