Wednesday, February 24, 2010

बस तेरा हो गुणगान


नित्य तुम्हारी सेवा होवे
नित्य तुम्हारा संग

पक्काम्पक्का लगा रहे
मोरे मन पर तोरा रंग

और ना दूजा रंग चढ़े
बस तेरा हो गुणगान

करूं नित्य तेरे किरपा से
लीला रस का पान

अशोक व्यास 
२१ दिसंबर ०४ को लिखी
२४ फरवरी १० को लोकार्पित

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