Wednesday, February 17, 2010

सकल व्योम है जिसकी लीला

नंदलाला मुख प्रेम अपार
द्वन्द सहज ही होते पार

सकल व्योम है जिसकी लीला
उसकी मंगल जय जयकार

केशव कहूं कथा जब तेरी 
मिटती प्रिये व्यथा सब मेरी

अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
१५ सितम्बर ०६ को लिखी
फरवरी १८, २०१० को लोकार्पित

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