Saturday, February 20, 2010

संग कान्हा के चलने की कर ली तैय्यारी

संग कान्हा के चलने की कर ली तैय्यारी
थकी बात तक, ऊंघ गयी गोपी बेचारी

इसी बीच चुप चाप चले आये बनवारी
सपने में जब, श्याम प्रभु ने चुटकी मारी

जागी खिसिया कर, घूंघट पट लिए पुकारी
कब से बैठी बात जोहती कृष्ण मुरारी

कान्हा बोले, सुनो ध्यान से बात हमारी
बाट देखते सो सोकर जो, नहीं संग के वो अधिकारी


अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
२० सितम्बर ०६ को लिखी
१९ फरवरी २०१० को लोकार्पित

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