Wednesday, February 10, 2010

कहाँ छुप गयी 'जाग'


कान्हा से कर बात मन तू
इधर उधर मत भाग

पूछ श्याम से दिन आया पर
कहाँ छुप गयी 'जाग'

अपना चिन्मय रंग श्याम का
छोड़ जगत के राग

पावन नदी समर्पण शाश्वत
मिटे जगत की आग

अशोक व्यास
२८ मई ०७ को लिखी
१० फरवरी १० को लोकार्पित 

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