Friday, February 19, 2010

श्याम चरण रज ह्रदय लगा कर


मन आनंद अपार उजागर 
बंशी बजाये नटवर नागर 

बहे कलुष-तम, शुद्ध हुआ मन
श्याम चरण रज ह्रदय लगा कर 

२ 

प्रकट किरण के साथ है
सूर्यदेव का प्यार
कण कण को छूकर करें
रवि सबका सत्कार

कण कण में कान्हा बसा
छुपा सृष्टि का सार
डाली नमक की ओ सखी
हो कैसे सागर पार

अशोक व्यास
१८ और १९ सितम्बर ०६ को लिखी
१९ फरवरी १० को लोकार्पित

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