Sunday, February 21, 2010

अब श्याम रिझाऊँ

मन मस्त मलंग उड़ान अनंत उजागर
संग खेल रहे हैं, बोले नटवर नागर
मन मस्त मलंग उड़ान अनंत उजागर
संग खेल रहे हैं सचमुच नटवर नागर

अब खेल सजाऊँ नयी तरह से सारा
अब श्याम रिझाऊँ, नित्य प्रेम की धारा

करुणामय कृष्ण बिन कहे मगन मुस्काये
उनकी चितवन से परम तृप्ति उर आये

मन गोविन्द गोविन्द नित्य करो उच्चार
यूँ बना रहेगा मन मोहन से प्यार


अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका

२७ सितम्बर ०६ को लिखी
२१ फरवरी १० को लोकार्पित

No comments: