Monday, February 15, 2010

श्रद्धा का सागर


परमप्रेम आनंद उजागर
आये देखो नटवर नागर

आनंद का यह ज्वार उठा है
गरज रहा श्रद्धा का सागर

कान्हा की बंशी मिस्री रस
कण कण मधुर दिव्य रस पाकर


अशोक व्यास
२७ अगस्त ०६ को लिखी
१५ फरवरी १० को लोकार्पित

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