Sunday, February 28, 2010

रस की पिचकारी

                                          (होली के उत्सव पर श्रद्धा और प्रेम के रंगों सहित बधाइयाँ)

 आनंदकंद मनमोहन संग
झूला झूले
राधा प्यारी,

चले मधुर पवन 
कोयल बोले, बदली से
रस की पिचकारी 
हो मगन श्याम के ध्यान सखी 
मैं तब जीती
जब जग हारी

अशोक व्यास 
२६ जनवरी ०५ को श्यामार्पित
२८ फरवरी १० को लोकार्पित

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