Saturday, February 6, 2010

जगत मुक्ति का धाम


कृष्ण नाम रस पी मना
कर
लीला रस में स्नान
उस
पथ बढ़ ले प्रेम से
जिस
पथ हो उत्थान

जगत
जाल सा तब लगे
जब
बिसरे घनश्याम
सुमिरन
अमृत चख सदा
जगत
मुक्ति का धाम


अशोक व्यास
१२ मार्च ०९ को लिखी
६ फरवरी १० को लोकार्पित

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