
कृष्ण नाम रस पी मना
कर लीला रस में स्नान
उस पथ बढ़ ले प्रेम से
जिस पथ हो उत्थान
जगत जाल सा तब लगे
जब बिसरे घनश्याम
सुमिरन अमृत चख सदा
जगत मुक्ति का धाम
अशोक व्यास
१२ मार्च ०९ को लिखी
६ फरवरी १० को लोकार्पित
कर लीला रस में स्नान
उस पथ बढ़ ले प्रेम से
जिस पथ हो उत्थान
जगत जाल सा तब लगे
जब बिसरे घनश्याम
सुमिरन अमृत चख सदा
जगत मुक्ति का धाम
अशोक व्यास
१२ मार्च ०९ को लिखी
६ फरवरी १० को लोकार्पित
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