Tuesday, February 9, 2010

उसको पाऊँ कर कौन नियम?


श्री कृष्ण प्रभु नव वस्त्र धरे
मुसकाय रहे मद्धम मद्धम
मैं अँखियाँ अंतस की कोसूं
क्यूं सूझ रहा है मुझको कम

मन भाग रहा करता किलोल
सुन सुन कर नूतन कर्म ढोल

ऐसे में कैसे बैठ सुनूं
मन मोहन मौन मधुर सरगम
मैं श्रवण रहित हो रीत गया
क्यों सुनता मुझको इतना कम


क्यूं याद नहीं रह पाता है
वह कण कण बसा हुआ हरदम
कैसे देखूं, कैसे ध्याऊँ
उसको पाऊँ कर कौन नियम?

अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
७ फरवरी ०७ कि लिखी
९ फरवरी १० को लोकार्पित

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