Wednesday, December 1, 2010

पावन प्रीत

 
कान्हा मुख मुस्कान छलाछल
जगी सांस नव आभा उज्जवल

पावन प्रीत उजागर कर दी
मन आनंद मगन अति शीतल

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१९ दिसंबर २००५ को लिखी
१ दिसंबर २०१० को लोकार्पित 

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