Monday, December 20, 2010

जय राधे गोविन्द कृष्ण हरे


 
मन पावन आनंद सरस बरस
सब ताप हरे, सुख सार सरे

मन गाये गोकुल वृन्दावन
जय राधे गोविन्द कृष्ण हरे

अमृत घट ले आये कान्हा
उसके कर दे, जो ध्यान धरे

सुन्दरतम केशव गिरिधारी
कर कृपा मेरे उर में उतरे


अशोक व्यास
२७ फरवरी २००६ रचित
२० दिसंबर २०१० लोकार्पित

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