कर सत्कार
धरा श्रृंगार
मेरे मनमोहन
गये पधार
नित्य रसमयी गुण गा रसना
नीरस विषय संग ना फंसना
वृन्दावन की सांझ मनोहर
कण कण मुखरित आनंदित स्वर
प्रेम पालकी बैठ चले मन
श्रद्धा, निष्ठा बने कहार
कर सत्कार, धरा श्रृंगार
मेरे मनमोहन गये पधार
जय श्री कृष्ण
२४ नवम्बर २००५ को लिखी
५ दिसंबर २०१० को लोकार्पित
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