Sunday, December 5, 2010

प्रेम पालकी बैठ चले मन



 
कर सत्कार
धरा श्रृंगार
मेरे मनमोहन
गये पधार

नित्य रसमयी गुण गा रसना
नीरस विषय संग ना फंसना

वृन्दावन की सांझ मनोहर
कण कण मुखरित आनंदित स्वर

प्रेम पालकी बैठ चले मन
श्रद्धा, निष्ठा बने कहार
कर सत्कार, धरा श्रृंगार
मेरे मनमोहन गये पधार

जय श्री कृष्ण

२४ नवम्बर २००५ को लिखी
५ दिसंबर २०१० को लोकार्पित

No comments: