Friday, December 31, 2010

परम प्रेम की रीत निराली


 
सुन्दरतम गिरिधारी
हँस हँस
बरसाए आनंद उजास
मोहनमय मन मगन
मनोहर
करे सांस में नित्य निवास

परम प्रेम की रीत निराली
एक लगे, धरती आकाश

श्याम शब्द है और मौन भी
नित्य निरंतर मेरे पास


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३ मार्च २००६

No comments: