Monday, December 6, 2010

जो है अपरम्पार



 
1
कृष्ण ना सूझे आँख से, दिखता सब संसार
रे मन, वह दिखला मुझे, जो है अपरम्पार
2
प्रेम प्रवाह मधुर मनभावन
सुमिरन मनमोहन अति पावन
आभामयी श्याम की चर्चा
रस संचार करे मधुसूदन


अशोक व्यास, न्यूयार्क
२५ और २७ नवम्बर २००५ को लिखी
६ दिसंबर २०१० को लोकार्पित

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