श्याम सुन्दर मनमोहन भावे
और कछु बतिया ना सुहावे
रसना सखी बनी है जब से
गोविन्द गोविन्द नाम सुनावे
यसुमति मैय्या निरख श्याम मुख
मंद मंद मन में मुसकावे
लीला कान्हा की सुन लीजे
सांस प्रेम मगन व्हे जावे
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३ फरवरी २००६ को लिखी
१८ दिसंबर २०१० को लोकार्पित
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