Saturday, December 18, 2010

रसना सखी बनी है जब से

 
श्याम सुन्दर मनमोहन भावे
और कछु बतिया ना सुहावे

रसना सखी बनी है जब से
गोविन्द गोविन्द नाम सुनावे

यसुमति मैय्या निरख श्याम मुख
मंद मंद मन में मुसकावे

लीला कान्हा की सुन लीजे
सांस प्रेम मगन व्हे जावे

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३ फरवरी २००६ को लिखी
१८ दिसंबर २०१० को लोकार्पित

No comments: