Friday, December 17, 2010

मन कान्हा आन बिराजे

 
आनंदित हर बात लगे
मन कान्हा आन बिराजे
चलो सखी, उस डगर चलें
जहां कृष्ण प्रेम धुन बाजे

गोवर्धन धारी के मुख पर
छाई छटा निराली
सिखला मुझको श्यामा प्यारी
मुद्रा अर्पण वाली 
 
कृष्ण कृपा के कोष बिना 
निर्धन राजे-महाराजे 
आनंदित हर बात लगे
मन कान्हा आन बिराजे

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१ फरवरी २००६ को लिखी 
१७ दिसंबर २०१० को लोकार्पित

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