Thursday, December 16, 2010

श्याम सखा संग

 
आनंद आनंद प्रेम निरंतर
श्याम सखा संग संग निरंतर
छलक रही है क्षण क्षण सुन्दर
नटवर नागर कृपा की गागर

कोमल, उज्जवल, ज्योतिर्मय मन
अद्भुत है सुमिरन यह पावन

अशोक व्यास
२९ दिसंबर २००५ को लिखी
१६ दिसंबर २०१० को लोकार्पित

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