कर्म पथ दरसा प्रभु मंगल करो
सार से सुन्दर पिया हर पल करो
शुद्ध मन से सृजन पथ बढ़ते रहें
समन्वय सुर दो, जगत शीतल करो
कामना है प्रेम, उजियारा बढे
समर्पण दे, श्याम सारा छल हरो
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३० दिसंबर २००५ को लिखी
८ दिसंबर २०१० को लोकार्पित
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