Monday, January 31, 2011

वो सिखलाये है सदा


मुरली वाले की कृपा
बरसे है दिन-रात
कैसे कर को छू सके
मैं खड़ा बाँध कर हाथ

दिव्य श्याम संगीत है
अनुपम हर एक बात
वो सिखलाये है सदा
बदल बदल हालात

सीख श्याम की ना सूनी
रोया जंगल जाय
फल खाना तो ना हुआ
मुझको हर पल खाय

अशोक व्यास
१० जून १९९८ को लिखी
३१ जनवरी २०११ को लोकार्पित

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