Saturday, January 1, 2011

अमृतमय साँसों में ठहरी

 
आनंद मगन हुआ  अन्तर्मन
सुधि लिए चले यदुकुलनंदन
 
अमृतमय साँसों में ठहरी 
मुरलीधर की बांकी चितवन

कण कण आभा, क्षण क्षण पावन
 जाग्रत चिर प्रेम भरा सावन
 
अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
२५ मार्च २००६ को लिखी
१ जन २०११ को लोकार्पित



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