Monday, May 3, 2010

गुणातीत घनश्याम


कुल गौरव यदुवंश के
कालातीत कृपाल
हर सीमा के पार नित
आभामय नंदलाल

करनी अपनी सौंप दी
श्रीनाथ के हाथ
करूं चाकरी प्रेम से
कान्हा की दिन रात

सांस सांस मोहन जपूँ
अमृत रस में स्नान
बलिहारी गुरु चरण की
मिला श्याम का ध्यान

कृष्ण बजाई बांसुरी 
गए कंस के धाम
देखें एकटक गोपियाँ
गुणातीत घनश्याम

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२२ अगस्त २००५ को लिखी
३ मई २०१० को लोकार्पित

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