कुल गौरव यदुवंश के
कालातीत कृपाल
हर सीमा के पार नित
आभामय नंदलाल
करनी अपनी सौंप दी
श्रीनाथ के हाथ
करूं चाकरी प्रेम से
कान्हा की दिन रात
सांस सांस मोहन जपूँ
अमृत रस में स्नान
बलिहारी गुरु चरण की
मिला श्याम का ध्यान
कृष्ण बजाई बांसुरी
गए कंस के धाम
देखें एकटक गोपियाँ
गुणातीत घनश्याम
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२२ अगस्त २००५ को लिखी
३ मई २०१० को लोकार्पित
1 comment:
bahut khub
shandar
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