लो साथ सभी सखियाँ
फिर से
मोहन की लीला सजा रही
एक सखी
उठाये गोवर्धन
एक सखी बांसुरी बजा रही
केशव तुम नित्य निरंतर हो
कभी रसिया, कभी योगेश्वर हो
हे नाथ शरण अपनी देना
तव महिमा नित्य उजागर हो
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२४ अक्टूबर २००५ को लिखी
२२ मई २०१० को लोकार्पित
No comments:
Post a Comment