Thursday, May 13, 2010

अपनेपन में बाँध मुक्त कर







अमृत कान्हा
अक्षत कान्हा
जीवन रसमय
स्वागत कान्हा


कर उद्धार श्याम करुणामय
बजा बांसुरी रिझा रहे
अपनेपन में बाँध मुक्त कर
लीला रस से भिगा रहे 

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२७सितम्बर २००५ को लिखी
१३ मई २०१० को लोकार्पित

No comments: