Monday, May 10, 2010

छू लूं कान्हा के चरणों को



ठाकुर जी मुसकाय रहे
नयनों में दमके प्रेम सरस
आनंद लहर उमड़े अद्भुत 
देखे जब श्याम सुन्दर हँस हँस

वारि जाऊं मनमोहन की
बांकी चितवन कर रही तरल
छू लूं कान्हा के चरणों को
हो रहूँ यमुना मैय्या का जल 

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१७ सितम्बर २००५ को लिखी
१० मई २०१० को लोकार्पित

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