ठाकुर जी मुसकाय रहे
नयनों में दमके प्रेम सरस
आनंद लहर उमड़े अद्भुत
देखे जब श्याम सुन्दर हँस हँस
वारि जाऊं मनमोहन की
बांकी चितवन कर रही तरल
छू लूं कान्हा के चरणों को
हो रहूँ यमुना मैय्या का जल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१७ सितम्बर २००५ को लिखी
१० मई २०१० को लोकार्पित
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