Tuesday, May 18, 2010

श्याम चरण रज माथ लगा


तेज धूप हो या बरखा
कान्हा मेरा नित्य सखा

मधुर कृपा रस पान करा
दिखलाई प्रभु दिव्य छटा

माखन मिसरी लुटा दिए
हर लीला से प्रेम बढ़ा

धन्य हो गया एक क्षण में
श्याम चरण रज माथ लगा 


अशोक व्यास
१२ अक्टूबर २००५ को लिखी
१८ मई २०१० को लोकार्पित

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