Tuesday, May 25, 2010

खुद पावन हो जा पहले


मुरलीधर गोपाल मनोहर
भोर भई, बाजे मंगला स्वर

श्याम मनोहर, जाग गए पर
धरे नहीं श्रृंगार
सेज छोड़ कर ना उतरे
मुस्काये बारम्बार

"कहो, करूं क्या?", पूछा तो बोले
मन से सब मैल उतार
खुद पावन हो जा पहले
फिर कर मेरा श्रृंगार


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
अगस्त २९, २००७ को लिखी
२५ मई २०१० को लोकार्पित

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