Wednesday, May 19, 2010

मगन तन्मय खड़ा केशव


उजाला धर मेरे हाथों
कहा कान्हा ने अब नाचो

लगा बंशी अधर अपने
कहा अमृतमयी नाचो

जगी मुस्कान की ज्योति 
मगन तन्मय खड़ा केशव

धरा माथे मेरे आनंद
कहे नयनों से, अब नाचो


अशोक व्यास
१४ अक्टूबर २००५ को लिखी
१९ मई २०१० को लोकार्पित

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