Thursday, May 6, 2010

मन कृष्णमयी मोहे भाये


प्रेम मगन मन नंदलाल गुण
गा गा नित हर्षाये
 कृष्ण लल्ला की कृपा मलय
छू छूकर भाग्य जगाये

सकल सृष्टि का वैभव
कान्हा की दृष्टि से आये
कृतकृत्य हुआ
उल्लास पगा
मन कृष्णमयी मोहे भाये

अशोक व्यास 
३१ अगस्त २००५ को लिखी कविता
६ मई २०१० को लोकार्पित

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