Wednesday, May 12, 2010

समृद्धि प्रभु प्रेम की



कृष्ण नाम पूंजी लिए
फिरता तीनो लोक
प्रेम पवन की पालकी
नहीं कहीं पर रोक

समृद्धि प्रभु प्रेम की
जग आनंद अपार
सब में दिखे श्याम जी
यही सांस का सार

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२६ सितम्बर २००५
१२ मई २०१० को लोकार्पित 

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