Saturday, May 1, 2010

घर-आँगन उजियारा अनुपम


ताल तरंगित प्रेम उजागर
धड़कन धड़कन नटवर नागर

लहर आनंदित उमड़े बरबस
रोम रोम गाये कान्हा यश

घर-आँगन उजियारा अनुपम
गूंजी कृष्ण कृपा की सरगम

जय हो, जय श्री कृष्ण

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१८ अगस्त २००५ को लिखी पंक्तियाँ
१ मई २०१० को लोकार्पित

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