Friday, May 14, 2010

ज्योतिर्मय घनश्याम मनोहर


आनंद आनंद मधुर प्रेम स्वर
ज्योतिर्मय घनश्याम मनोहर

गाऊँ कान्हा, देखूं कान्हा
झूले झूला, राधा- कान्हा

कण कण में अमृत रत्नाकर
आनंद आनंद मधुर प्रेम स्वर


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३० सितम्बर 2005  को लिखी
१४ मई २०१० को लोकार्पित

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