Monday, May 31, 2010

दिव्य रस बरसे अनुपम


आनंद अनंत उछाल 
हँसे नंदलाल
मधुरतम ताल
सजा कर काल
संग गोपियाँ के
करें धमाल

दिव्य रस बरसे अनुपम
श्याममय हो जाएँ हम 
अशोक व्यास
१४ सितम्बर २००७ को लिखी
३१ मई २०१० को लोकार्पित

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