Friday, May 7, 2010

सुमिरन का प्रण, कान्हा कान्हा


कान्हा कान्हा कान्हा कान्हा
गाये कण कण कान्हा कान्हा

प्रेम समर्पण मिले कृपा से
लाये क्षण क्षण कान्हा कान्हा

वही जगाये, वही निभाये
सुमिरन का प्रण, कान्हा कान्हा

अशोक व्यास
सितम्बर १, २००५ को लिखी
७ मई २०१० को लोकार्पित

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