श्याम नाम जपता रहे
मन का मधुर सितार
हर अनुभव अंगुली छुए
जगे नाम रस धार
मैं गाऊँ गोपाल को
दो ऐसा वरदान
भक्तिभाव भर दो गुरु
करूण याचना मान
अशोक व्यास
५ फरवरी १९९५ को लिखी
२ सितम्बर २०१० को
जन्माष्टमी के पर्व की बधाईयों के साथ
लोकार्पित
जय श्री कृष्ण
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