Sunday, September 12, 2010

सुन प्रेम निरंतर कल कल कल
मन हुआ मधुर, रसमय शीतल

यह श्याम मनोहर कृपा सरस
चिन्मय, मधुमय, साँसे प्रतिपल

चल धेनु चरैय्या संग चलें
अमृत सरिता बन बहें सरल 

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१६ अप्रैल २३०७ को लिखी
१२ सितम्बर २०१० को लोकार्पित

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