Saturday, September 11, 2010

कृपा सघन मन, फिर भी ऐसा
मांगे प्यार, प्रशंसा, पैसा

जिस मन सतत प्रेम कान्हा का
शुद्ध कनक मन होगा कैसा

अशोक व्यास
२८ अप्रैल २००७ को लिखी
११ सितम्बर २०१० को लोकार्पित

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