Sunday, September 26, 2010

करूणामय दृष्टि

 
मन प्रेम बना सत्कार करे
कान्हामय जग से प्यार करे
वह खेल दिखाए नए नए
करूणामय दृष्टि दुलार करे

अशोक व्यास
जून २, २००४ को लिखी
२७ सितम्बर २०१० को लोकार्पित

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