(चित्र- ललित शाह) |
मन में उल्लास तुम्हारा है
जो है, विश्वास तुम्हारा है
हो रहा पार हर बाधा के
जो है, परताप तुम्हारा है
है ज्योति तुम्हारी करूणा से
जो है, मंगल उजियारा है
सुन कर बंशी की धुन, मोहन
अब कृपामयी जग सारा है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
८ मयी २०१० को लिखी
८ सितम्बर २०१० को लोकार्पित
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