Friday, September 24, 2010

मधुर स्पर्श

 
आलिंगन भर कर कान्हा ने
माथे पर माथे से अपने
किया मधुर स्पर्श

श्वेत अश्व सी अद्भुत किरणें
जगा प्रेम संग हर्ष

आल्हादित मन एकटक देखे
कान्हा अपरम्पार

शरण श्याम की लेने को
मन आज हुआ तैयार

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३० अप्रैल ०७ को लिखी
२४ सितम्बर २००७ को लोकार्पित

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