आलिंगन भर कर कान्हा ने
माथे पर माथे से अपने
किया मधुर स्पर्श
श्वेत अश्व सी अद्भुत किरणें
जगा प्रेम संग हर्ष
आल्हादित मन एकटक देखे
कान्हा अपरम्पार
शरण श्याम की लेने को
मन आज हुआ तैयार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३० अप्रैल ०७ को लिखी
२४ सितम्बर २००७ को लोकार्पित
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