माँ जग जननी
प्यार तुम्हारा
पार लगाए
माँ करूणामय
सार तुम्हारा
प्यार जगाये
माँ जगजननी
रोम रोम से
तू ही गाये
अहा! दिव्य
हर सांस
तुम्हारी शोभा गाये
माँ जगजननी
सुन्दर है
संसार तुम्हारा
हर पग
पावन करता है
आधार तुम्हारा
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१३ अप्रैल २००७ को लिखी
१३ सितम्बर २०१० को लोकार्पित
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