Monday, September 13, 2010

आधार तुम्हारा

 
माँ जग जननी
प्यार तुम्हारा
पार लगाए

माँ करूणामय
सार तुम्हारा
प्यार जगाये

माँ जगजननी 
रोम रोम से 
तू ही गाये
 
अहा! दिव्य 
हर सांस
तुम्हारी शोभा गाये
 
माँ जगजननी
सुन्दर है
संसार तुम्हारा
हर पग
पावन करता है
आधार तुम्हारा


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका 
१३ अप्रैल २००७ को लिखी  
१३ सितम्बर २०१० को लोकार्पित

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