परिपूरण परमात्मा
तेरे चरण निवास
अब क्या मांगूं श्याम से
पूरी हो गयी आस
सेवा सुन्दर व्रत मना
करता जा निष्काम
छोड़ जगत की चाकरी
गाये जा घनश्याम
चल जमुना के तीर पर
देह लपेटे धूल
जहां श्याम चरणन पड़े
वहीं मिलेगा मूल
अशोक व्यास
मंगलवार, १७ अप्रैल २००७ को लिखी
गुरुवार, ९ सितम्बर २०१० को लोकार्पित
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जहां श्याम चरणन पड़े
वहीं मिलेगा मूल
सच कहा और सही कहा।
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